Essential Information on Lungs Disease (आराम से साँस लें: फेफड़ों की बीमारी पर आवश्यक जानकारी)

Lungs Disease (फेफड़ों की बीमारी):

Lungs

फेफड़ो में संक्रमण की स्थिति को lungs Infection कहा जाता है। यह Infection lungs में मौजूद हवा की छोटी-छोटी थैलीयों में भी हो सकता है, इसे निमोनिया कहा जाता है। इसके आलावा Infection Lung के बड़े एयरवेज में भी हो सकता है, जिसे ब्रोंकाइटिस के नाम से जानते हैं। जिसके कारण सांस लेने में भी परेशानी जैसी समस्याएं होने लगती है। 

Introduction (परिचय):

फेफड़ों की बीमारी कई प्रकार की बिमारियों या विकारों को शामिल करती है जो फेफड़ों को ठीक से काम करने से रोकती है। फेफड़ों की बीमारी श्वसन क्रिया, या सांस लेने की क्षमता और फुसफुसीय कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती है। फेफड़ा हमारे शरीर में ऑक्सीजन का संचार करता है, blood को शुद्ध करता है और सांस को फ़िल्टर करने का काम करता है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति के फेफड़े में कहीं से वायरस, बैक्टीरिया और फंगस बढ़ना शुरू कर देते हैं तो फेफड़ों में संक्रमण होने लगता है।  

What is Lung Disease (फेफड़ों के बीमारी क्या हैं):

फेफड़ों व श्वसन प्रणाली से जुड़े अन्य अंगों को प्रभावित करने वाले रोगों को फेफड़ों के बीमारी कहा जाता है। साँस के संबंधित ज्यादातर समस्याएं फेफड़ों के कारण ही होती है, ये बीमारी होने पर मरीज को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। 

Symptom of Lung Disease (फेफड़ों के बीमारीयों का लक्षण):

फेफड़ों के बीमारी के अनुसार उसके संकेत व लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। फेफड़ों के बीमारी में होने वाले कुछ सामान्य लक्षण ये हैं। 

  • खांसी के साथ बलगम। 
  • सांस लेने में समस्या।
  • सांस फूलना। 
  • सूजन होना।  
  • सीने में दर्द। 
  • मांसपेशियों में दर्द होना।  
  • गले में दर्द होना। 
  • घरघराहट की समस्या।  
  • थकान होना। 
  • उलटी,दस्त के साथ जी मिचलाना।  
  • हृदय गती का बढ़ना। 
  • बुखार और ठण्ड लगना। 
  • बलगम आना। 
  • बलगम में खून आना।         

Causes of Lung Disease (फेफड़ों के बीमारीयों का कारण):

 फेफड़ों में Infection के मुख्य कारण दो है, वायरस और बैक्टीरिया। जब रोगी सांस लेता है तो रोगाणु फेफड़े में चले जाते हैं और फेफड़े में हवा की छोटी-छोटी थैलीयों में जमा हो जाते हैं। इसके संक्रमण का कारण बनते हैं। यह संक्रामक भी हो सकता है, यानि कोई व्यक्ति के बोलने, खांसने, और छींकने से भी दूसरे व्यक्ति में फ़ैल सकता है। 

  • धूम्रपान। 
  • स्मोक।  
  • फैक्ट्रियों में काम करना।  
  • वृद्धावस्था का समय।
  • हवा के प्रदूषण।     

Prevention of Lung Disease (फेफड़ों के बिमारीयों से बचाव):

फेफड़ों से सम्बंधित रोगों से बचाव के लिए आप ये तरीका अपना सकते हैं। 

  • एक्सरसाइज करें। 
  • अपने हाथों को साफ रखें। 
  • बीमार लोगों से दूर रहें। 
  • पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाएं। 
  • गर्म पानी पियें। 
  • जाँच करवाते रहें। 
  • धूम्रपान छोड़दें। 
  • प्रदूषण से दूर रहें। 
  • डॉक्टर से मिलें। 

Diagnosis of Lung Disease (फेफड़ों के बिमारियों की जाँच):

डॉक्टर मरीज की पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं और मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं। साँस केदौरान “स्टेथोस्कोप” नमक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। 

  • स्पायरोमेट्री टेस्ट। 
  • ब्लड टेस्ट। 
  • एलर्जी टेस्ट। 
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम। 
  • सीटी स्कैन। 
  • फेफड़ा बायोप्सी। 
  • बलगम की जाँच। 
  • प्लस ऑक्सीमेट्री।     

Treatment of Lung Disease (फेफड़ों के बिमारियों का इलाज):

फेफड़ों के बीमारी के अनुसार इसका इलाज अलग-अलग प्रकार का होता है। 

  • मडिकेशन।  
  • ऑक्सीजन। 
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड। 
  • एंटीबायोटिक। 
  • कीमोथेरपी और रेडिओथेरेपी। 
  • फेफड़ों का प्रत्यारोपण। 
  • ऑपरेशन। 
  • सर्जरी।  

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