गर्भावस्था के दौरान मधुमेह (diabetes) होना एक महत्वपूर्ण विषय है। आइए इसे हिंदी में समझते हैं।
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गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) क्या हैं:
गर्भावधि मधुमेह, जिसे gestational diabetes भी कहा जाता है, एक तरह की मधुमेह है जो सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही महिलाओं में होता है. इसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता, जिससे खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. आमतौर पर ये परेशानी गर्भावस्था के दूसरे या तीसरे तिमाही में देखी जाती है, लेकिन कभी भी हो सकती है.
गर्भवस्था में मधुमेह के दो प्रकार होते हैं:
- जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes): यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह है। लगभग 4% गर्भवती महिलाओं को यह हो सकता है। यह आम तौर पर गर्भावस्था के दूसरे भाग में विकसित होती है और बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाती है।
- पूर्व-मधुमेह (Pre-existing Diabetes): कुछ महिलाओं को गर्भवती होने से पहले ही मधुमेह हो सकता है, लेकिन तब तक पता नहीं चलता जब तक कि वे गर्भवती नहीं हो जातीं।
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1. गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes):
- यह एक प्रकार का मधुमेह है जो सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही होता है।
- यह उसी समय पता चलता है, जब आप गर्भवती होती हैं और बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है।
- लगभग 4% गर्भवती महिलाओं को ये समस्या हो सकती है।
- इसे गर्भकालीन मधुमेह भी कहते हैं।
2. पहले से मौजूद मधुमेह (Pre-existing Diabetes):
- कुछ महिलाओं को गर्भवती होने से पहले ही मधुमेह (टाइप 1 या टाइप 2) हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान इस मधुमेह को संभालना और भी आवश्यक हो जाता है।
गर्भकालीन मधुमेह के कारण (Causes):
- गर्भावस्था के दौरान शरीर अधिक इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है।
- गर्भाशय (placenta) एक ऐसा हार्मोन बनाता है जो शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बना देता है।
- गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई हॉर्मोनों का स्तर बदल जाता है।
- ये हॉर्मोन शरीर को शुगर (ग्लूकोज) का इस्तेमाल करने में थोड़ी दिक्कत पैदा कर सकते हैं। नतीजतन, खून में शुगर का स्तर बढ़ सकता है।
गर्भवस्था में मधुमेह के जोखिम कारक:
- मोटापा
- परिवार में मधुमेह का इतिहास
- पहले गर्भावस्था में गर्भकालीन मधुमेह होना
अगर इलाज न किया जाए तो गर्भावस्था में मधुमेह से ये समस्याएं हो सकती हैं:
- माँ के लिए उच्च रक्तचाप, संक्रमण का खतरा बढ़ जाना
- बच्चे के लिए जन्म के समय अधिक वजन होना, जन्म दोष, ब्लड शुगर का लेवल ठीक से ना होना
प्रभाव (Effect):
- अगर मधुमेह को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इससे माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।
मां पर प्रभाव:
- भविष्य में टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
- योनि संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
बच्चे पर प्रभाव:
- जन्म के समय बच्चे का वजन ज्यादा हो सकता है।
- समय से पहले जन्म लेने का खतरा बढ़ सकता है।
- बच्चे के शर्करा का स्तर असामान्य हो सकता है।
- जन्म के बाद सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- जन्म दोष
गर्भवस्था में मधुमेह की जांच (Test) कैसे की जाती है:
- डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान रक्त शर्करा की जांच कर सकते हैं, खासकर दूसरी तिमाही में।
- गर्भवती महिलाओं की डॉक्टर स्क्रीनिंग टेस्ट करते हैं।
- अगर टेस्ट में शुगर का स्तर ज्यादा है, तो डॉक्टर आगे की जांच कर सकते हैं।
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गर्भवस्था में मधुमेह का इलाज (Treatment) कैसे किया जाता है:
- स्वस्थ आहार
- नियमित व्यायाम
- कुछ मामलों में दवा या इंसुलिन की आवश्यकता हो सकती है।
- डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
- ब्लड शुगर का स्तर नियमित जांचते रहें।
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होने की चिंता है तो अपने डॉक्टर से बात करें।